Charm Ror ,khujli,skin disease ke upaye, ilaj in hindi

चर्म रोग ,खुजली ,स्किन डिसीस के उपाए ,इलाज इन हिंदी

By: Pratima Tyagi My Last Update is 09-09-2018
नमस्कार , दोस्तों में एक बार फिर एक नई पोस्ट के साथं। आपके सामने। हमने लास्ट पोस्ट में लिवर डिसीस और फैटी लिवर के बारे में पढ़ा था।  अगर आप नहीं पढ़  पाए तो आप निचे दिए गए लिंक पर किलिक कर हमारी पोस्टों को पढ़ सकतें हैं। 
आज हम आपको  चर्म रोग के बारे में बताएँगे की इसके कारन क्या-क्या होता  हैं ,और उपाए।  खुजली होत- होते हमारे शरीर पर लाल चट्टे पढ़ जातें हैं।  फिर उसके आस-पास छोटे-छोटे दाने दिखने लगतें हैं।  सफ़ेद निशान बनना छाछन , छाले ,दाद ,खुजली ,खसरा ,फुंसी ,फोड़े आदि चर्मरोग में ही शामिल हैं।

चर्मरोग का इलजा

चर्मरोग बारिश में कोण कोण से होते है ?

बारिश के मौसम में जितनी भी सबधानी रखी जाये उतना ही कम है।  बारिस में त्वचा रोग सभी को नहीं होता।  बच्चों में इसका प्रभाब ज्यादा दिखाई देता है। क्योंकी उनकी त्वचा अधिक सम्बेदन शील होती है।  मच्छर का प्रकोप जब बच्चों पर पड़ता है तो बच्चे त्वचा रोग के शिकार जल्दी हो जाते हैं
बारिश के मौसम में गीले कपड़ों के लगातार संपर्क में  रहने से खाज खुजली ,स्केबीज ,किट-खुजली ,फफूंद रोग , और कई फोड़े फुंसी हो जातें है।  इस स्थिति में बच्चों का बिशेष ख्याल रखना चाहिए। बच्चों की स्किन बहुत ही नाजुक होती है। 
बच्चों में चर्मरोग

चर्मरोग के प्रकार :

  1. स्केबीज - बोलचाल की भाषा में इसे खाज कहा जाता है।  यह रोग खास किस्म की जू की बजह से होता है। किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से यह रोग लगता है।  संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों का प्रयोग या बिस्तर प्रयोग करने से भी यहा रोग लगता है। इस बीमारी का रोगाड़ूँ शरीर में प्रबेश करने के बाद त्वचा की  ऊपरी सतह पर घर बनाकर प्रजननं करने लगता है।  एक बार संक्रमण होने के बाद १४ -१५ दिन में दाने उभर जातें हैं। और बहुत तेज खुजली होने लगती है।  जो रात के समय ज्यादा परेशान करती है. बड़ों में ये निशान गर्दन के निचे ,उँगलियों के बीचमे ,कलाई ,कोहनी,कांख ,साइन तथा नाभि के आसपास तथा शरीर के गर्म भाग में होतें है। 
  2. किट खुजली - बारिश में रोग बच्चों में ज्यादा दिखाई पड़ते हैं।  यह मच्छरों के काटने से पैदा हुई एलर्जी के कारण से होता है।  दिखने में भले ही ये स्केबीज जैसा रोग दीखता हो लेकिन इसके दाने शरीर के खुले आगो में ही सामने आतें हैं। बच्चों के कपडे उतारकर देखेंगे तो पाएंगे की जो अंग खुले हैं।  बहीं पर दाने उगे हैं।  पेट और पीठ पर नहीं।  बच्चों की जांघ , पैर के तलुओं में तथा हथेलियों में दाने नहीं होतें है।  किट खुजली दिन रात दोनों समय पैदा होती है।  और सभी को परेशान कर डालती है।  कीड़े के काटने की खुजली शुरू हो जाती है।  इसी लिए जरुरी है की शुरुआत में ही आप लगाने बाली और खाने बाली दवाई का प्रयोग शुरू कर दें और डॉ से उचित सलाह लें।  बिना डॉ की सलाह से किये काम से आप और अधिक परेशान भी हो सकतें। 
  3. दाद रिंग बर्म - इसको डैड खुजली भी कहा जाता है।  यह रोग कई तरह की फफूंदों के कारन पैदा होता है।  बारिश में बाताबरण अत्यधिक नम होता है।  जिसकी बजह से फफूंद को पनपने का सबसे अच्छा मौका मिल जाता है।  बारिश के मौसम में तो खाने की चीजों में भी जल्दी से फफूंद लग जाती है।  त्वचा की सतह पर ,खोपड़ी और नाखुनो की सतह पर और बालों के निचे की सतह पर बहुत जल्दी से फफूंद लग जाती है।  गर्मी में भी खाना फफूंद की बजह से जल्दी से बासा हो जाता है।  किसी भी संक्रमित यक्ति का टबिल , मोज़े , कंघे , नेलकटर ,तथा बसत्र  का प्रयोग करने से ये रोग हमें भी लग जाता है।  जिसका हमें पता नहीं चलता।  घर के हर सदस्य के काम में आन बाली चीजें अलग-अलग होनी चाहिए। 
  4. फोड़े -फुंसी होना - इसमें मिटटी में खेलने से या काम करने से ये रोग जल्दी होता है।  ये शरीर की साफ सफाई नहीं होने से , कपडे साफ न होने से , ज्यादा दिनों में नहाने से भी ये रोग पनपता है।  बच्चों में ये जल्दी दिखाई देता है क्योकि बच्चे मिटटी का खेल ज्यादा करते हैं।  नहाने की साबुन में अधिक सोडा होना भी एक कारण बन  जाता है।  

क्या है दाद रिंगबर्म  के कारन :

इस रोग की चपेट में आते ही त्वचा पर गोल छल्लेनुमा चकत्ते बन जातें है।  इसमें रिंग के बहार पतली पपड़ी दिखाई देती है।  धीरे धीरे रिंग का साइज बढ़ता जाता है।  बच्चों में सर के बाल के आलावा त्वचा पर भी होता है जिससे सर के बाल टूटने भी लगते हैं।  सर पर पपड़ी जम जाती है।  तथा माबाद के साथं ही फ़िदा भी बन जाता है।  यदि उचित इलाज  न मिले तो उस स्थान पर बाल हमेशा के लिए नहीं उगते है।  त्वचा बहुत सम्बेदन शील होती है।  इसका ख्याल आपकी सेहत के लिए जरुरी है।

बारिश से चर्मरोग फैलता है
  बच्चों का बिशेष ख्याल रखें। हमेशा पूरी बहके कपडे पहनाएं।  हमेशा सूखे हुए इस्तमाल करें। और पैरों में पंजो तक ढकने बाले पेजमे पहनाएं।  हमेशा बच्चों कपड़ों में डिटॉल लें।  सुगन्धित क्रीम बा पाउडर न लगाएं मच्छरों का उनके पास आने का खतरा बाद जाता है।  मछरों बाला क्रीम लगा रखें।  मोज़े भी पहना कर रखें।  हमेशा मछरदानी सोएं। बारिश से बच्चों को बचा कर रखें।  उनेह गिला न होने दे कपडे भी रखें। 

बड़ों में चार्म रोग के कारण ,कैसे होता है ?

  • बड़े जब दिनभर धुप में रहतें हैं तो उन्हें इस रोग को आमद देने बराबर होता है 
  • किसी प्रकार की एंटीबायटिक दबाई का असर गलत हो जाना भी इस रोग का कारन होता है। 
  • महिलाओं में मासिक धर्म समय पर न होने से भी इसका प्रभाब पड़ता है। 
  • शरीर पर ज्यादा गैस जमा भी खुश्की नमक है।
  • दिन भर अधिक कसे हुए कपडे पहनने से भी खुजली होने लगती है शरीर को हवा नहीं लगती है। 
  • नहाने की साबुन में अधिक सोडा होने के कारण भी ये रोग पैदा होता है।
  • खून की खराबी के कारन भी खुजली की समस्या पैदा हो जाती है जो बढ़ने ज्यादा फैलने लगती है।
  • गरम तीखी चीजें खाने से भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। 
  • आहार ग्रहण करने के तुरंत बाद बयाम करने से भी ये रोग होता है
  • शरीर पर धूल मिटटी जमा होने से भी और पसीना जमा होने से भी ये रोग बिकराल रूप ले लेते है। 
  • उलटी,डकार , पोट्टी रोकने , पिशाब रोकने से भी इस बिमारी का सामना करना पड़ता है। 

हमें क्या इलाज करना चाहिए ?

  • नहाने समय पानी में कुछ बुँदे डिटोल एंटीसेप्टिक की डालना चाहिए।
  • नीम के पत्तो को पानी में उबालकर उस पानी को ठंडा क्र उससे नहाना चाहिए।
  • नीम की कोपलों को खली पेट खाने से भी इस रोग में फायदा लगता है। 
  • नीम के पत्तों का पेस्ट बनाकर आप दाद ,खुजली ,और लाल निशानों पर लगा सकते हैं। ऐसा दिन में ३ बार तो जरूर करना चाहिए।
  •  नीम के पत्तों का रास ,घाव बाले िस्थान पर लगाकर पट्टी बांधना चाहिए।
  • मूली के पत्तों की सब्जी बनाकर खाना चाहिए।
  • मूली के पत्तों का जूस बनाकर पीना चाहिए।  इससे चर्मरोग में भयदा होता है। 
  • करेले का जूस बनाकर पीना चाहिए। 
  • तजा गोमूत्र ,चार्म  रोग बाले स्थान पर लगाना चाहिए। 
  • हर रोज मुलिउ खाने से डेग धब्बे ,कील ,मुहासे और त्वचा से रोग ठीक हो जाते हैं। 
  • शहद में पानी मिलाकर पिने से भी फायदा होता है। 
  • सरसों के तेल में लहसुन मिलाकर गर्म करें ठंडा होने पर चर्मरोग बाले स्थान पर लगाएं
  • फ़िटकरी  हो पानी में गिला कर उस स्थान पर लगाएं जहाँ दाद है।

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