Diabetic ke khatre se dill ko kese bachayen
By Pratima Tyagi my last updets is 11-06-2018
नमस्कार दोस्तों, हमने हमारी लास्ट पोस्ट में लिवर को सुरक्षित रखने के लिए उपायों के बारे में पड़ा था| इससे सम्बंधित जानकारी आप हमारी पिछली पोस्ट से पद सकते हैं | जिससे आप अपनी सेहत को और भी सुरक्षित और बेहतर रख सकते हैं | पोस्ट पड़ने के लिए यहाँ किलिक करें |
आज हम आपको डायबिटीस के खतरे से दिल को सुरक्षित रखने के बारे में बताएँगे | आप सभी स्वस्थ काया और सुंदर जीवन यापन करें बस एहि दुआ है |
डायबिटिस हिरदय में अलग -अलग तरह की बिमारियों का खतरा बढ़ा देती है | इनमे सबसे सामान्य कोरोनरी आर्टरी डिसीज की समस्या है | इसमें आर्टरी मतलब की रक्त शिकाएँ जब हिर्दय को रक्त भेजती है तो उस समय वो बिलोक हो जाती है| या फिर सिकुड़ जाती हैं | जिसकी बजह से सीने में दर्द की शिकायत या फिर गंभीर हार्टअटैक आ सकता | लेकिन साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है की आज हर बीमारी का इलाज सम्भब है परन्तु इसका समय रहते पता चल जाये तो इंसान की मोत होने से बचाई जा सकती है | इसलिए थोड़ी भी शंका अगर हम किसी बीमारी को लेकर करते है तो हमें तुरंत डॉ की सलाह लेनी चाहिए |
कोरोनरी आर्टरी डिसीज होने का खतरा इन करने से होता है :-
- हार्ट डिसीज का परिबारिक इतिहास होना
- ब्लड ग्लूकोज लेबल का बढ़ना
- ओबेसिटी एंड सेन्ट्रल ओबेसिटी
- हाई लेबल्स ऑफ़ लिपिड्स
- हाई ब्लड
- स्मोकिंग
ह्रदय रोग के लक्षण
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diabetic ke khatre |
लम्बे समय तक छाती में दर्द , असहज महसूस होने की समस्या कुछ समय से अधिक होने | आमतौर पर ब्रेस्ट बॉन के पीछे कुछ दबाब , भारीपन , खिंचाब महसूस होना | याद रखें की अगर आप डायबिटीस के मरीज है तो ये दर्द महसूस न भी हो |
साँस लेने में तकलीफ होना | या जोर से साँस लेनी पढ़ रही हो |
कमजोरी और थकान महसूस होना
घबराहट होना, पसीना आना
डायबिटीस ग्रस्त लोगों में कार्डियो वेस्क्यूलर बीमारी के कारण
हार्ट -कोरोनरी आर्टरी डिसीज को इस्केमिक हार्ट डिसीज भी कहते है | यह हिरदये की और जाने बाली रक्तशिराओंकी दीवारों के कढोर और मोटी होने की बजह से होती है बसा के जमा होने के कारण यदि रक्त शिराएं सिकुड़ जाती हैं | या ब्लॉक हो जाती है तो रक्त की सप्लाय कम हो जाती है | या कट जाती है इस कारण हार्टअटैक आ जाता है | जिसके दौरान तुरंत हमें डॉ।के पास जाना चाहिए।
हार्ट फेलियर होने पर :-
यहा एक गंभीर इस्थिति है। जब हार्ड सही ढंगसे ब्लड को पम्प नहीं कर पाता है। और डायबिटीज के मरीज में हार्ड फेलियर का खतरा और अधिक बाढ़ जाता हे। हार्ड फेलियर की समस्या कई सालों बाद होती है. और लक्षण भी कई सालों तक चलते रहते हैं। और समय के साथं स्थिति और अधिक ख़राब होती जाती है। ऐसी इस्थिति में थोड़ा भी काम करने में सांस लेने में तकलीफ होती है।
मस्तिष्क सेरेब्रल बेसक्यूलर डिसीज :-
सी बी डी की बजह से मस्तिष्क में रक्त का प्रभाब प्रभाबित है। यह स्ट्रोक की बजह बन जाता है इसे ब्रेन अटेक भी कहते हैं। इससे मस्तिष्क की और जाने बलि रक्त बहिकाएँ सिकुड़ने ,ब्लॉक होने या कढोर होने लगती हैं हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी होने लगती है।
स्ट्रोक :-
जब मस्तिष्क में अचानक से रक्त का प्रभाब रुक जाता है तो स्ट्रोक की समस्या अति है। ऐसी स्थिति में मस्तिष्क तक रक्त शिराओं का प्रभाब ठीक से नहीं पोहोंच पाता। और ऑक्सीजन कोशिकाओं तक नहीं पोहोंच पाता। स्ट्रोक की बजह से लकबा लगने या किसी अंग के काम न करने या दृस्टि कमजोर पड़ने जैसी इस्थिति आ जाती है। अधिकांश स्ट्रोक खून के धक्के जमने, या फिर बसा के जमा होने की बजह से होता है
डायबिटीज के मरीज को चाहिए की बह तनाब से दूर रहे डॉ की सलाह पर ही भोज्य पदार्ध का ज़बान करे। काम कम से कम करे जिससे उन्हें थकान न हो और साँस लेने में भी कोई तकलीफ न हो। मस्तिष्क पर जोर न दे किसी बात का दबाब न सहन हो ऐसा टेंशन अपने दिमाक पर न लें। सम्भब हो सके तो हमेशा अपने आपको खुश रखें। अच्छी बातों पर टाइम खर्च करें। तकलीफ होने पर तुरंत डॉ के पास जाएँ।
आज इतना ही हम फिर आपके लिए कुछ नया लेकर आएंगे जो आपके और आपके परिवार के लिए उपयोगी रहेगा। हमेशा खुश रहिये और दूसरों को भी रखिये। हमारे पूर्बज भी हमें यही सिखाते थे। दूसरों की मद्दद करें तकलीफ होने पर उन डॉ के पास ले जाएँ। आज आप किसी का अच्छा करोगे तो कल आपका भी कोई अच्छा करेगा।
नमस्कार ,
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Thanku..
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